श्रावण मास 2023 : सावन मास 2023 कब से शुरू है ? सावन मास महात्तम पूजा विधि ( Shravan Month Importance and Pooja in Hindi)
इस साल श्रावण मास (सावन मास) 2023 में 4 जुलाई से शुरू होगा और 31 अगस्त को संपूर्ण होगा। इस बार श्रावण मास लगभग 59 दिन का है अधिक मास या मल मास के कारण श्रावण मास दोगुना हो गया है। ऐसा योग लगभग 19 साल बाद बना है इससे शिव भक्त अत्यधिक प्रसन्न है। हिंदू धर्म के अनुसार श्रावण मास में शिव भगवान की पूजा की जाती है। भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का व्रत करते हैं।
पूजा की विधि: भगवान शिव की पूजा करने के लिए श्रावण मास (सावन मास) 2023 में सुबह जल्दी उठ कर स्नान कर लो। पूजा की सामग्री में बेल पत्र, धतूरा, भांग, दूध, दही, गंगाजल, अक्षत, पुष्प, शहद तथा चंदन एकत्रित करे।सबसे पहले दूध,दही,शहद, गंगाजल और घी को मिलाकर पंचामृत बन लो। फिर पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करो बाद में उन्हें कपड़े से साफ करो अब इसके बाद चंदन का तिलक लगाओ और पुष्प अर्पित करो। अंत में भगवान शिव को मिठाई या चीनी का भोग लगाओ।
श्रावण सोमवार व्रत विधि: पूजा के बाद भगवान शिव की मिट्टी के दीये में घी डालकर आरती करे | आरती के बाद भगवान शिव को खीर-पूरी अथवा हलवा-पूरी बनाकर भोग लगाए एवं स्वयं भी प्रसाद अवश्य ग्रहण करे | क्योंकि प्रसाद में “प्र” शब्द का अर्थ होता ‘है प्रभु, “सा” का अर्थ होता है साक्षात्, तथा “द” का अर्थ होता है दर्शन मतलब “प्रभु के साक्षात् दर्शन” |
मंत्र जाप: पूजा के बाद हमें भगवान शिवजी के सहस्त्र नाम का जाप करना चाहिए। आप चाहो तो “ओम नमः शिवाय” का भी जाप कर सकते हो। भगवान शंकर को श्री रामजी से बहुत प्रेम है इस लिए आप श्री राम चरित्र मानस का भी अध्ययन कर सकते हैं। श्री रामचरितमानस के अध्ययन से भगवान शंकर अत्यधिक प्रसन्न हो जाते हैं।
श्रावण महात्तम:
- ऐसा कहा जाता है कि सतयुग में जब भगवान शिव माता सती का त्याग कर देते हैं तब माता सती अपने शरीर को त्याग करने का निश्चय करती है | एक दिन माता सती को पता चलता है कि उनके पिता एक बहुत बड़े यग का आयोजन कर रहे हैं तो माता सती भी भगवान शिव से वहां जाने की ज़िद्द करती है | भगवान शिव उनको अपने गणों के साथ भेज देते हैं | वहाँ जाकर सती माता को एहसास होता है कि उन्होंने बिना बुलाए आकर बहुत बड़ी गलती कर दी है तब वह अपने आप को उस हवन में स्वाहा कर देती है और भगवान से विनती करती है की अगले जन्म में उनके पति भगवन शिव ही बने | अगले जन्म में माता सती का जन्म राजा हिमावन के घर होता है | राजा हिमावन उनका नाम पार्वती रखते है बचपन से ही पार्वती माता भगवान शिव की पूजा-अराधना करती है | माता पार्वती बहुत कठिन तपस्या और व्रत करती है | उन्हीं के द्वारा किये हुए व्रत को आज हम सावन मास के सोमवार के व्रत के नाम से जानते है |
- श्रावण में काँवर यात्रा का बहुत अधिक महत्व हैं. इसमें लोग भगवा वस्त्र धारण करके पवित्र नदियों के जल को एक काँवर में बाँधकर पैदल चलकर शिवलिंग पर उस जल को चढ़ाते हैं. काँवर एक बाँस का बना होता हैं जिसमे दोनों तरफ छोटी सी मटकी होती हैं जिसमे जल भरा होता हैं और उस बाँस को फूलों से सजाया जाता हैं. साथ ही “बोल बम” का नारा लिए कई काँवर यात्री श्रृद्धा पूर्वक पद यात्रा कर पवित्र जल को शिवलिंग पर अर्पण करते हैं. श्रावण का पुराणों में बहुत महत्व हैं.
श्रावण सोमवार तिथि:
सावन का पहला सोमवार | 10 जुलाई |
सावन का दूसरा सोमवार | 17 जुलाई |
सावन का तीसरा सोमवार | 24 जुलाई |
सावन का चौथा सोमवार | 31 जुलाई |
सावन का पाँचवा सोमवार | 7 अगस्त |
सावन का छटा सोमवार | 14अगस्त |
सावन का सातवाँ सोमवार | 21 अगस्त |
सावन का आठवाँ सोमवार | 28 अगस्त |
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